तिलस्मी किले का रहस्य भाग_ 3
कहानी _**तिलस्मी किले का रहस्य**
भाग _3
लेखक _श्याम कुंवर भारती
जबतक वो लड़की आती है तब तक मैं अपने कपड़े बदल लेता हूं।इतना सोचकर प्रताप ने अपना बैग खोला और ऊनी पायजाम कुर्ता निकालकर बदल लिया और ऊपर से चद्दर ओढ़ लिया।कुछ किताब कॉपी भी निकाल लिया ताकी रात में कल की परीक्षा का पुनर्भ्यास कर सके।
तभी वो लड़की आ गई।आपका बहुत आभार अपना कमरा शेयर करने के लिए।आते ही उसने प्रताप से कहा।
कोई बात नही आपके हालत ही ऐसे बन गए थे की मुझे करना पड़ा वरना ठंड भरी रात में आपको परेशानी हो जाती है।प्रताप ने कहा ।
मैं आपको किराया का आधा हिस्सा दे दूंगी उस लड़की ने कहा
ठीक है मैं मांग थोड़े ही रहा हूं।मैने तो पेमेंट कर दिया है।आपको देना होगा तो दे देना ।लेकिन पहले अपना नाम तो बताओ प्रताप ने पूछा।
जी मेरा नाम सुरभी साव है।आपका नाम मुझे पता है प्रताप कुमार सिन्हा।उस लड़की ने मुस्कुराकर कहा।
लेकिन आपको मेरा नाम कैसे पता चला प्रताप ने आश्चर्य से पूछा।
इसमें आश्चर्य वाली कोई बात नहीं है मैंने होटल के रजिस्टर में देख मिया था।सुरभी ने कहा ।
ओह अच्छा बहुत तेज नजर है आपकी।
प्रतापने तारीफ करते हुए कहा।
तभी दो रूम सर्विस बॉय एक फोल्डिंग बेड और उसका ओढ़ना बिछौना लेकर आ गए।पहले वाले बेड से थोड़ी दूर पर बेड लगाकर दोनो ने उसपर बिछौना बिछाकर एक कंबल और तकिया दे दिया।इतने में मैनेजर अपनी बेटी को लेकर आ गया।उसका नाम गुड़िया था ।उसे नींद से उठाकर लाया गया था।उसकी आंखे नींद से ओझिल हो रही थी।मैनेजर ने कहा_ गुड़िया बेटी तुम आज रात इस दीदी के साथ सो जाओ।ये अंकल दूसरे बेड पर सो जायेंगे।
गुड़िया बेड पर चढ़कर कम्बल ओढ़कर सो गई।
मैनेजर ने कहा _ अब हम लोग चलते हैं।
सबके जाने के बाद सुरभी ने टायलेट में जाकर अपने कपड़े बदल लिया।
उसके बाल खुल गए थे।एक बारगी तो प्रताप उसे देखता रह गया।सुंदर तो थी ही ऊपर से खुले बालों में और भी सुंदर लग रही थी।
लेकिन प्रताप ने उसके चेहरे से अपनी नजर हटा लिया और कहा _ आपको सोना है तो से जाओ मैं एक दो घंटे पढ़ाई करूंगा।
प्रताप ने किताब कॉपी निकाल लिया और पढ़ने बैठ गया तभी सुरभी उसके पास आ गई और बोली थोड़ा मुझे भी गाइड कर दे प्लीज ताकि मेरी भी परीक्षा सफल हो जाए ।
देखिए अगर मैं आपको बताने लगा तो मेरी खराब हो जायेगी ।आप जाओ अपने बेड पर और खुद पढ़ाई करो।
पहले तो हम लोग एक दूसरे को आप आप न बोले बल्कि तुम कहकर बोले या नाम लेकर बुलाए।सुरभी ने कहा।
ठीक है तुमको जो कहना है कहो लेकिन मुझे डिस्टर्ब मत करो और मुझे पढ़ने दो।
लेकिन सुरभी वहा से नहीं गई।बल्कि उससे सवाल करती रही । प्रताप झुंझला गया।एक तो मैने तुम्हारी मदद किया।तुन्हे अपने कमरे में जगह दिया और तुम मुझे पढ़ने नही दे रही हो।
मैं कहा तुम्हे परेशान कर रही हूं थोड़ी हेल्प ही तो मांग रही हूं।सुरभी ने अनुरोध किया।
लेकिन प्रताप ने झुंझला कर कहा _ अगर तुमने कोई तैयारी नही की थी तो परीक्षा देने कैसे आ गई।क्या मेरे भोरोसे आई थी ।
तैयारी की थी लेकिन मुझे खुद पर भरोसा नहीं है।संयोग से तुम मिल गए हो तो मदद मांग रही हूं।
हारकर प्रताप ने उससे पूछा छुड़ाने के लिए कहा_ ठीक है जल्दी पूछो क्या पूछना है।
सुरभी ने कई सवाल पूछने शुरू किए लेकिन जवाब सुनने से पहले ही सुरभी कुर्सी पर बैठे बैठे ही सोने लगी।।प्रताप को बड़ा आश्चर्य हुआ।अजीब लड़की है तबसे सवाल पूछने के लिए तंग कर रही थी और अब बता रहा हूं तो सोने लगी ।
उसने उसे झंझोरकर उठा दिया।सुरभी हड़बड़ाकर जग गई।
सॉरी मुझे नींद आ गई थी।उसने शर्मिंदगी जताते हुए कहा।
ठीक है अब बहुत हो गया अब जाकर अपने बेड पर सो जाओ और मुझे सोने दो।
सुरभी चुपचाप अपने बेड पर आ कर मैनेजर की बेटी गुड़िया के साथ सो गई ।
प्रताप ने राहत की सांस लिया और पढ़ने लगा।लेकिन थोड़ी ही देर में उसे भी नींद आने लगी। शायद लंबे सफर के थकान के कारण हो रहा था।उसने अपनी किताब कॉपी एक तरफ रख दिया और कंबल ओढ़ के सो गया।
अभी कुछ ही देर वो सोया होगा की तभी उसने महसूस किया कोई उसका कंबल खींच रहा है।उसने तुरंत अपनी आंखे खोल दिया और देखा सुरभी उसका कंबल खींच रही है।
अरे ये तुम क्या कर रही हो मेरा कंबल क्यों ले रही हो?तुम्हारे पास भी तो कंबल है।
मुझे ठंड लग रही थी इसलिए।
तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या।तुम्हे ठंड लग रही है तो क्या मेरी जान लोगी।
मैं क्या ओढूंगा।जाओ अपने बेड पर और सो जाओ।प्रताप ने उसे डांटते हुए कहा।
सुरभी उससे लड़ने बालगी ।कमरा क्या शेयर किया बड़ा अकड़ दिखा रहे हो।
हर बात पर ताना मार रहे हो ।
ठीक है मुझसे गलती हो गई। तुमसे इतनी रात में बहस नही करनी है ।कल परीक्षा है तुम भी चुपचाप
सो जाओ और मुझे भी सोने दो ।
दोनो जोर जोर से बहसबाजी करने लगे।उनकी आवाज सुनकर सोई हुई गुड़िया जाग गई।आप दोनो झगड़ा मत करो मुझे सोने दो
ठीक है तुम सो जाओ।हमलोग भी सोने जा रहे हैं।
प्रताप ने कहा और कंबल ओढ़ कर सो गया।अभी कुछ ही पल बिता होगा की सुरभी ने उसे आकार जगा दिया था बोली मुझे बहुत डरवाना सपना दिखा मुझे डर लग रहा है।
प्रताप ने अपना माथा पीट लिया।
शेष अगले भाग _4
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मो.9955509286
Madhumita
07-Jan-2024 06:37 PM
Nice one
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Khushbu
07-Jan-2024 06:01 PM
V nice
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नंदिता राय
06-Jan-2024 09:16 AM
Nice one
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